Wednesday, July 22, 2009

६ दिसम्बर १९९२

राम वनवास से लौटकर जब घर में आए
याद जंगल बहुत आया जो नगर में आए
रक्से दीवानगी जो आँगन में देखा होगा
६ दिसम्बर को राम ने सोचा होगा
इतने दीवाने कहाँ से मेरे घर आए

पाँव सरयू में अभी राम ने धोये भी न थे
की नज़र आए वहाँ खून के धब्बे
पाँव धोये बिना सरयू के किनारे से उठे
राम ये कहते हुए अपने दुआरो से उठे
राजधानी की फजा आई नहीं मुझे रास
६ दिसम्बर को मिला मुझे दूसरा वनवास

..................आज़मी

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