Sunday, July 19, 2009
१९ जुलाई पेम
साथियों
१९ जुलाई को हम जन चेतना कला मंच के साथी पेम गांव में नाटक का मंचन करने गए। गांव पहुँचने के बाद हम लोगों ने पूरे गांव में जाकर लोगो को बुलाया और उनको बताया की हम लोग उनके गांव में नाटक करने आए है। करीब पूरे गांव में हम लोगो को १ घंटा लगा लोगो को बुलाकर लाने में। हम लोग गीत गाकर लोगों को बुला रहे थे।
उसके बाद हम लोगों ने नाटक का मंचन किया। नाटक के बाद हम लोगो ने जनता से बात की उनको नरेगा के बारे में बताया, सूचना का अधिकार २००५ के बारे में बात की, १० प्रतिशत लोगो को ही इन सब के बारे में पता था। नाटक के बाद कुछ बातें इस गांव के बारे में जो पता चली वो बहुत ही ग़लत थी, जैसे गांव का प्रधान लोगों की बात नही सुनता, उस गांव में बम्बा से पानी नहीं मिलता, आगे के गांव के लोग बम्बा को बाँध लेते है और इस गांव तक पानी नहीं आने देते है। जब लोग उनसे बात करने जाते है तो मरने की कहते है।
यहाँ पर नाटक करके नए साथियों को मालूम पड़ा की असली नाटक करने में कितनी ताकत लगती है। इस नाटक में मुख्य रूप से गौतम, मोहित, विपिन, हरेंदर, रमन, प्रमोद,सागर, जितेंदर दीनदयाल ने काम किया।
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