भाषण की है खेतियाँ
कागज पे उगता अनाज
डकैती, मरण, अपहरण
अपने हैं रस्मो रिवाज
कोढ में खाज
हमारा समाज
हमारा समाज
........ये पंकितियाँ मैंने "यह अंदर की बात" नामक पुस्तक से ली है।
if tou take away
others' right
you dont't know, you'd carry a burden
never to be relived of -
and lose all that you've earned.