Saturday, September 19, 2009

कविता - लालू बनिया

एक था लालू बनिया
खाता हींग बताता धनियां
एक दिन आया बुखार
गया डॉक्टर के पास
डॉक्टर ने लगायी सुई चार
भागा वो सीधे बाज़ार
चंदन
शहीद भगत सिंह पुस्तकालय
नानकारी, कानपुर

कविता - बंदर

एक था बंदर
पैर था जेल के अंदर
खाता था रोज चुकंदर
इसलिए हो गया जेल के अंदर
खाने के लिए पकडी मूली
इसलिए हो गई बंदर के शरीर में खुजली

चंदन
शहीद भगत सिंह पुस्तकालय
नानकारी, कानपुर

Thursday, September 17, 2009

एक शाम शहीदों के नाम १५ अगस्त

साथियों १५ अगस्त को हमारा प्रोग्राम एक शाम शहीदों के नाम होना था, पर शायद आसमान को ये मंजूर था। १५ अगस्त को पूरे समय पानी गिरा लेकिन साथियों ने हिम्मत नहीं हारी और जैसे ही पानी रुका वैसे ही पानी निकलने के लिए कुछ कुछ करने लगे पैर जैसे ही हम लोगो ने पानी नकाल दिया वैसे ही फ़िर पानी suru हुआ और ये सिलसिला करीब शाम ५ बजे तक चलता रहा। और फिर हम लोगों ने प्रोग्राम को १६ अगस्त को करने का प्लान बनाया।