Saturday, September 19, 2009

कविता - बंदर

एक था बंदर
पैर था जेल के अंदर
खाता था रोज चुकंदर
इसलिए हो गया जेल के अंदर
खाने के लिए पकडी मूली
इसलिए हो गई बंदर के शरीर में खुजली

चंदन
शहीद भगत सिंह पुस्तकालय
नानकारी, कानपुर

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