Monday, October 5, 2009

४ अक्टूबर २००९

सलाम साथियों
४ अक्टूबर को बाल्मीकि जयंती थी, इस अवसर पर अखिल भारतीय बाल्मीकि समाज विकास परिषद की तरफ़ से बाल्मीकि मैदान, आई आई टी कानपुर में प्रोग्राम रखा गया था। इस अवसर पर जन चेतना कला मंच कानपुर ने वहां पर गीत गए, और नाटक जो की ठेकेदारी पर था, उसका मंचन करके लोगों को समझाया की एक मजदूर को क्या चाहिए, और इस ठेकेदारी में उसको क्या मिल रहा है।
हमारे क्षेत्र के सांसद श्री राजाराम पल, आई आई टी कानपुर के निदेशक श्री संजय धांडे, मुख रूप से बुलाये गए थे। नाटक में माध्यम से हम लोग लोगों को ये दिखना चाहते थे की ठेकेदारी के काम में होता क्या है, किस तरह मजदूर से पैसे लेकर उसको काम पर लगाया जाता है, उसके बाद उससे कहा जाता है की सुबह आने का समय तो है पर शाम को जाने का समय नहीं है, और काम के समय किसी से बात नही करनी है, बाहरी लोगों से कोई भी बात नही करनी है। मजदूरों की पगार दूसरे महीने की १५ या २० तारीख को दी जाती है, वो भी बहुत कम पगार दी जाती है, जैसे मजदूर ने २६ दिन काम किया है हो उसके कार्ड पर १५ से लेकर २० दिन की हाज़री लगी होती है और ठेकेदार उनते दिन की ही पगार मजदूरों को देता है, जब एक मजदूर अपनी पगार पूरी मांगता है तो उसको मरते है और गली दे जाती है, उसके बाद जब यह लोगों से पगार और अपने काम को लेकर लोगों से बात करता है तो उसको काम से निकाल दिया जाता है, उसके बाद मजदूर लोगो को संगठित करता है और अपने हकों की मांग करता है, और जब तक मांगे नहीं मानी जाती तब तक की हड़ताल घोषित करता है। अंत में शासन प्रशासन सब को घुटने टेकने पड़ते है और मजदूरों की बात मनानी पड़ती है।
ये दोस्तों सिर्फ़ नाटक नहीं था बल्कि इस समय की हकीकत है। इस में नाटक मुख्य रूप से गौतम, विपिन, मोहित, हरेंदर, शोभित, मनोज, सचिन, भवरपाल, दीनदयाल और दीपू ने भाग लिया था।

कुछ नटखट से सवाल

साथियों सलाम
हम साथी लोग एक दिन शहीद भगत सिंह पुस्तकालय में बैठे थे और किताबे पढ़ रहे थे तो मेरे हाथ में एक किताब चकमक आई जिसको मैं पढ़ रहा था। उसमें कुछ सवाल दिए गए थे जो की मुझे बहुत ही अच्छे लगे मैं यही सवाल वहाँ लिख रहा हूं। आप लोग इसको हल करे और इसके उत्तर मुझे मेल करे।

१. राम के चाचा ने अपनी सम्पति को इस तरह से बांटा की उनकी बेटी को बेटे से तीन गुना अधिक और बेटे को माँ से दुगनी सम्पति मिले। आपको बताना है की राम की चची को कुल कितनी सम्पति मिली जबकि चाचा की कुल सम्पति १००००० थी।

२. राकेश गुल्लक में रोज पैसे डालता था। उसका एक नियम था की वो जिनते पैसे आज डालता था दुसरे दिन उसके दुगने पैसे डालता था जैसे आज १ रूपए डाले तो दुसरे दिन २ रूपए, तीसरे दिन ४ रूपए, चौथे दिन ८ रूपए और इसी तरह ये चलता रहा तो आप बता सकते है की राकेश ने २० दिनों में कितनें रूपए जमा कर लिए होंगे।