जागा रे, जागा रे जागा सारा संसार
फूटी किरण लाल खुलता है पूरब का द्वार
जागा रे, जागा रे जागा सारा संसार
अंगड़ाई ले कर ये धरती उठी है, धरती उठी है
सदियों की ठुकराई मिट्टी उठी है, मिट्टी उठी है
हो .........टूटे हो टूटे गुलामी के बंधन हज़ार - ३
जागा रे......................
आया ज़माना ये अपना ज़माना, अपना ज़माना
किस्मत का ये रोना गाना पुराना , गाना पुराना
हो ...... बदलेंगे हम अपनी जीवन की नदिया की धार - ३
जागा रे......................
हर भूखा कहता है यूं न मरूँगा, यूं न मरूँगा
में जा के मालिक को नंगा करूँगा, नंगा करूँगा
हो ....... ढाह दूंगा दुखियारी लाशों पे उठती दीवार
जागा रे, जागा रे जागा सारा संसार
Tuesday, July 28, 2009
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