बीज ज़हर के बीच हमारे क्योंकर कोई बोता?
रोटी, शिक्षा, रोजगार की जब-जब होती मांग,
दंगे की सूली पैर सत्ता सबको देती टांग ।
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई इस धरती के जाये,
सत्ता के ही भेदभाव से बनते आज पराये ।
चाहे किसी दिशा से देखो यही समझ में आता,
तानाशाही और अमीरी में है सीधा नाता ।
................नीलाभ
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